Constitution

जयपुर भार्गव सभा (रजि.), जयपुर
(रजि. न. 124, वर्ष 1961-62)

संविधान

(अखिल भारतीय भार्गव सभा द्वारा अनुमोदित आदर्श संविधान के अनुरूप)

1 अप्रैल 2016 से प्रभावी

सभा कार्यालय
जयपुर भार्गव सभा (रजि.), जयपुर
महर्षि भृगु सदन, सुन्दर मार्ग,
तिलक नगर, जयपुर
फोन : 2622222

अध्याय 1: स्मृति -पत्र
1. नाम:इस सभा का नाम “जयपुर भार्गव सभा (रजि.), जयपुर” होगा। इस संविधान में जहाँ “सभा”, “भार्गव सभा”, “स्थानीय भार्गव सभा” अंकित है, उसका तात्पर्य “जयपुर भार्गव सभा (रजि.), जयपुर” से होगा।
2. कार्यालय:जयपुर भार्गव सभा (रजि.), जयपुर का स्थाई कार्यालय महर्षि भृगु सदन, सुन्दर मार्ग, तिलक नगर, जयपुर पर होगा।
3. कार्यक्षेत्र:सम्पूर्ण जयपुर जिला और आसपास का क्षेत्र जहाॅ स्थानीय सभा का गठन नहीं हुआ है।
4. उद्देश्य: 4.1 समाज में प्रेम और श्रद्धा एवं आदर की भावना को बढ़ाना तथा समाज के हित एवं प्रगति के लिये कार्य करना।
4.2 समाज में हर प्रकार की शिक्षा के लिये सभी स्तरों पर प्रोत्साहन, मार्गदर्शन एवं आर्थिक सहयोग दिलवाना।
4.3 समाज में धार्मिक, नैतिक, आध्यात्मिक, सांस्कृतिक एवं बौद्धिक उत्थान हेतु प्रयत्न करना।
4.4 समाज को आर्थिक रूप से सुदृढ़ करना।
4.5 समाज के आर्थिक, शारीरिक एवं मानसिक रुप से कमजोर व्यक्तियों की सहायता करना एवं उन्हें स्वावलम्बी बनाने हेतु प्रयत्न करना तथा चिकित्सा सहायता भी उपलब्ध कराना।
4.6 सभा की चल एवं अचल सम्पत्ति का उचित प्रबन्ध, सुरक्षा एवं रख-रखाव करना, क्रय, विक्रय (केवल चल सम्पत्ति) किराये पर देना तथा उसे उचित प्रकार से सभा के हित में तथा सभा के उद्देश्यों की पूर्ति हेतु प्रयोग में लाना।
4.7 सभा के वर्तमान निधियों एवं भविष्य में प्राप्त होने वाले अनुदानों का समुचित प्रबन्ध एवं उपयोग करना।
4.8 उपरोक्त उद्देश्यों की पूर्ति हेतु यथोचित नीति निर्धारण करना तथा उनकी अनुपालना हेतु आवश्यकतानुसार समय-समय पर कार्य संहिता बनाना एवं दिशा निर्देश देना।
4.9 सभा के धन का निवेश उसकी पूर्ण सुरक्षा एवं अधिक से अधिक आय को दृष्टिगत रखते हुए करना।
4.10 अखिल भारतीय भार्गव सभा, उसकी कार्यकारिणी समिति तथा अधिवेशन द्वारा पारित प्रस्तावों के अनुसार जाति-बन्धुओं को कार्य करने हेतु प्रेरित करना।
4.11 अखिल भारतीय भार्गव सभा के अधिवेशनों के विचारार्थ समायोजित प्रस्तावों को प्रस्तुत करना तथा अखिल भारतीय भार्गव सभा की प्रबन्ध समिति के लिये स्थानीय सभा द्वारा चुने हुए प्रतिनिधियों को जातीय हित में यथोचित दिशा निर्देश देना।
4.12 जातीय बन्‍धुओं के व्यापक हितों को ध्यान में रखते हुए रक्तदान, नेत्रदान, चिकित्सा व आध्यात्मिक शिविरों का आयोजन करना।
4.13 पुस्तकालय, वाचनालय, वाद-विवाद प्रतियोगिताऐं, निबन्ध प्रतियोगिताऐं तथा अन्य साहित्यिक कार्यक्रमों के माध्यम से समाज के मानसिक स्तर को ऊपर उठाना।
4.14 समाज में राष्ट्रीय प्रेम की भावना को जागृत करना।
5.पंजीकरण:यह सभा नियमानुसार पंजीकृत संस्था है तथा इसका रजि. न. 124, वर्ष 1961-62 है। इसके सभासदों का दायित्व (Liablity) केवल सभा की सम्पत्ति तक ही सीमित होगा।
अध्याय 2 - सभा का स्वरुप
नियम और विनियम (Rules & Regulations)
1. भाषा:इस सभा की समस्त कार्यवाही हिन्दी भाषा और देवनागिरी लिपि में होगी एवं सुविधानुसार अंग्रेजी भाषा का प्रयोग भी किया जा सकता है।
2. वित्तीय वर्ष:इस सभा का वित्तीय वर्ष 1 अप्रैल से अगले वर्ष के 31 मार्च तक रहेगा। अखिल भारतीय भार्गव सभा के वित्तीय वर्ष में कोई परिवर्तन होता है तो वह जयपुर भार्गव सभा में भी लागू होगा।
3. सदस्यता:18 वर्ष या इससे अधिक आयु के जयपुर जिला और आस पास के क्षेत्र, जहॉं पर स्थानीय सभा का गठन नहीं हुआ है, के सभी भार्गव पुरुष एवं महिलायें नियमानुसार जयपुर भार्गव सभा के आजीवन/साधारण सदस्य बन सकते हैं।
4. सदस्यता शुल्क: (क) आजीवन सदस्य: आजीवन सदस्यता के लिये पुरुष/महिला का एकल सदस्यता शुल्क रु. 100/- तथा दम्पत्ति के लिए शुल्क रु. 150/- होगा। यदि कोई सदस्य जयपुर जिले से दूसरे शहर में स्थानान्तरित होकर जाता है तथा वहाँ की स्थानीय सभा की सदस्यता लेता है तो उसकी पहली यानि जयपुर भार्गव सभा से सदस्यता स्वतः ही निरस्त (Terminate) हो जायेगी। यदि वह वापिस जयपुर जिले में आ जाता है तो जयपुर भार्गव सभा के आजीवन सदस्य होने की स्थिति में उसको सदस्यता का नवीनीकरण स्वयं कराना होगा। ऐसी स्थिति में दूसरी स्थानीय सभा में ली गयी उसकी सदस्यता समाप्त हो जायेगी। परन्तु स्थानांतरित होने पर यदि वह सदस्य अन्य नगर की सदस्यता नहीं लेता है तो उसे जयपुर भार्गव सभा के सदस्य बने रहने का पूर्ण अधिकार होगा। इस प्रकार उसे केवल एक ही नगर/स्थान के लिए मताधिकार होगा।
(ख) साधारण सदस्य: साधारण सदस्यता के लिये पुरुष/महिला का एकल सदस्यता शुल्क रु. 30/- (द्विवार्षिक) तथा दम्पति के लिए शुल्क रु. 50/-(द्विवार्षिक) होगा। सदस्यता 01 जनवरी से 2 वर्ष के लिए 31 दिसम्बर तक मान्य होगी ।

नोट:-
1. सभा के चुनाव में केवल वही सदस्य भाग ले सकेंगे जिनका आगामी दो वर्ष का सदस्यता शुल्क जमा हो। साधारण सदस्यता शुल्क अथवा आजीवन सदस्यता शुल्क चुनाव वर्ष के 31 दिसंबर तक कोषाध्यक्ष के पास जमा हो जाना चाहिये, जिसकी सचिव द्वारा सूची बनाकर 07 जनवरी तक उचित मूल्य पर उपलब्ध करा दी जायेगी।
2. निर्वाचन प्रक्रिया को छोड़कर भार्गव परिवारों के समस्त सदस्य स्थानीय भार्गव सभा के सभी कार्यक्रमों में कार्यकारिणी की बैठेकों के अतिरिक्त, भाग लेने के अधिकारी होंगे जिसके लिये आजीवन/साधारण सदस्य होना आवश्यक नहीं होगा।
3. साधारण सदस्यों को चुनाव लड़ने का अधिकार नहीं होगा।
अध्याय 3 - कार्यकारिणी समिति
5. कार्यकाल:कार्यकारिणी का कार्यकाल (अ.भा.भा. सभा के अनुरूप) दो वर्ष का होगा - 01 अप्रैल से दूसरे वर्ष के 31 मार्च तक ।
6. पदाधिकारी एवं कार्यकारिणी सदस्य: 6.1 प्रत्येक दो वित्तीय वर्ष हेतु चुनाव द्वारा कार्यकारिणी समिति गठित होगी, जिसके लिए निम्न पदाधिकारीयों एवं सदस्यों का चुनाव निर्धारित प्रक्रियानुसार निर्वाचन अधिकारी द्वारा सम्पन्न कराया जायेगा:-
अध्यक्षएक
उपाध्यक्षतीन
सचिवएक
संयुक्त सचिवतीन
कोषाध्यक्षएक
खेल सचिवएक
सांस्कृतिक सचिवएक
लेखा परीक्षकएक
कार्यकारिणी सदस्यकुल 16 (क्षेत्र/जोन अनुसार)

नोट:-
1. एक सदस्य केवल एक पद एवं एक कार्यकारिणी सदस्य हेतु ही चुनाव में भाग ले सकेगा।
2. एक पद बर्तन भण्डारी कार्यकारिणी की प्रथम बैठक में नामित किया जायेगा।

अर्हता:- अध्यक्ष एवं सचिव पद के लिये पद ग्रहण करने के दिन एक सत्र का कार्यकारिणी सदस्य होना आवश्यक होगा।

क्षेत्र/जोन निम्न प्रकार से होगेंः-
जोन-1:- कुंडा, बड़ी चैपड़ से सुभाष चैक तक, गलता गेट, रामगंज बाजार, कनकवृन्दावन, जलमहल, ब्रहा्रपुरी, ट्रांसपोट नगर, खोले के हनुमान जी, हाण्डीपुरा, गोविन्द देव जी का मन्दिर, कँवर नगर, जयसिंहपुरा खोर, गोविन्द नगर, अचरोल तक ।
जोन-2:- गोलछा सिनेमा का पूर्वी व पश्चिमी भाग, चैड़ा रास्ता, पश्चिम क्षेत्र चैगान स्टेडियम, बगरू वालों का रास्ता, भिण्डों का रास्ता, खजाने वालों का रास्ता, चांदपोल बाजार, चांदपोल गेट जालुपुरा, बाबा हरीशचन्द्र मार्ग
जोन-3:- जनता काॅलानी, सेठी काॅलानी, आदर्श नगर, तिलक नगर, खरबूजा मण्डी, मोती डूंगरी रोड़, बर्फखाना, पत्रकार काॅलोनी, राजापार्क, साकेत काॅलानी ।
जोन-4:- जवाहर नगर एवं हाउसिंग बोर्ड सेक्टर-1 से सैक्टर-7, आगरा रोड, बस्सी तक ।
जोन-5:- मालवीय नगर (हाउसिंग बोर्ड एवं जेडीए फ्लैट)। एम.एन.आई.टी, त्रिमूर्ति अपार्टमेन्ट, बीएसएनएल काॅलोनी, फोर्टिस हाॅस्पिटल ।
जोन-6:- बापू नगर, गाँधी नगर, अनिता कालोनी, बजाज नगर, आर.बी.आई कॉलोनी,ए.जी.कॉलोनी व इसके आसपास के सभी अपार्टमेन्ट। हीरा बाग, एस.एम.एस. हाॅस्पिटल, देवी पथ, तख़्तेशाही रोड़, संतोकबा दुर्लभजी हाॅस्पिटल ।
जोन-7:- रामबाग का पश्चिमी भाग, सी-स्कीम, सिविल लाईन्स, ज्योति नगर, हवा सड़क, गोलीमार गार्डन, एसबीबीजे काॅलोनी, एम.आई.रोड़, पोलोविक्ट्री, संसारचंद्र रोड़।
जोन-8:- वैशाली नगर, चित्रकूट, गोम्स डिफेन्स आॅफिसर केम्पस, सिरसी रोड़ साउथ, विद्युतनगर, हनुमान नगर, कालवाड़ रोड़, पांच्यवाला, हीरापुरा
जोन-9:- विद्याधर नगर, वीकेआई, शास्त्री नगर, सुभाष नगर, हरमाड़ा, चैमू, मेजर शेतान सिंह काॅलोनी, नयाखेड़ा।
जोन-10:- मानसरोवर में रेणु पथ, कावेरी पथ, स्वर्ण पथ, वरूण पथ, किरण पथ, रजत पथ, हीरा पथ, मीरा मार्ग, पटेल मार्ग, विजय पथ। न्यू साँगानेर रोड व शिप्रापथ के बीच वाला क्षेत्र।
जोन-11:- एसएफएस अग्रवाल फार्म, पृथ्वीराज नगर, मानसरोवर का पश्चिमी हिस्सा, इस्कान मन्दिर व उसके आसपास, धर्मकांटा कल्याणपुरी, रीको एरिया, फ्लाई ओवर से चैारडि़या पैट्रोल पम्प तक। न्यू साँगानेर रोड व शिप्रापथ का क्षेत्र रामकृष्ण अपार्टमेंट सहित।
जोन-12:- झोटवाड़ा, अम्बाबाड़ी, बनीपार्क पारीक काॅलेज तक, खातीपुरा, निवारू, करघनी, गोविन्दपुरा, सुशान्त सिटी, मुरलीपुरा, सीकर हाउस, ढहर के बालाजी, चैामू तक ।
जोन-13:- निर्माण नगर, अजमेर रोड़, हीरापुरा पावर स्टेशन रोड़, बगरू तक, न्यू सांगानेर रोड़ (सोडाला से गुर्जर की थड़ी) श्याम नगर, सोडाला, स्वेज फार्म ।
जोन-14:- त्रिवेणी नगर, महावीर नगर, महेश नगर, दुर्गापुरा, गायत्री नगर, 10-बी स्कीम, गोपालपुरा बाईपास, दोनों तरफ गुर्जर की थड़ी तक, अर्जुन नगर,कृष्णा नगर व शक्ति नगर, भागीरथ नगर, मंगल विहार, शांति नगर, केशव विहार।
जोन-15:- प्रताप नगर, एनआरआई काॅलोनी, हाउसिंग बोर्ड, सांगानेर, जगतपुरा, रेल्वे काॅलोनी, चाकसू तक, सिद्वार्थ नगर, माॅडल टाउन, रोहिणी (सेक्टर 1,2,3), फागी तक ।
जोन-16:- इमलीवाला फाटक, टोंक फाटक से गोपालपुरा, बरकत नगर, देवनगर, शिवा काॅलोनी, हिम्मत नगर, नटराज नगर, एसबीआई काॅलोनी, जय जवान काॅलोनी, आदिनाथ नगर, न्यूलाईट काॅलोनी, रूपारामपुरा, इन्कम टैक्स काॅलोनी ।

विशेषः-जयपुर जिले के क्षेत्र जहाँ सभा नहीं है, वे अपनी सदस्यता की पात्रता उसी ज़ोन/क्षेत्र में रखते हुए जयपर भार्गव सभा के सदस्य बन सकेंगे।

6.2 सभा के निवर्तमान अध्यक्ष एवं निवर्तमान सचिव कार्यकारिणी के सदस्य होंगे। इसके अतिरिक्त सभी पूर्व अध्यक्ष चिशेष स्थाई आमंत्रित सदस्य होंगे।
6.3 उपरोक्त के अतिरिक्त कार्यकारिणी की सहमति से 6 सदस्यों (बर्तन भंडारी सहित) को कार्यकारिणी की सदस्यता हेतु नामित/सहवरण करने का अधिकार होगा। इन नामित/सहवरित सदस्यों को कार्यकारिणी बैठक में मत देने का अधिकार होगा। तथा इन्हें वह सभी अधिकार प्राप्त होंगे जो निर्वाचित कार्यकारिणी सदस्य को होते हैं। इनमें से दो सहवरित सदस्य में से एक का सहवरण अध्यक्ष व एक सदस्य का सहवरण सचिव द्वारा किया जावे।
6.4 अखिल भारतीय भार्गव सभा के लिये स्थानीय सभा द्वारा मनोनीत प्रतिनिधि, निर्वाचित सदस्य, पदाधिकारी इत्यादि कार्यकारिणी में स्थायी विशेष आंमत्रित सदस्य रहेंगे।
6.5 स्थानीय भार्गव महिला सभा (रजि.) एवं स्थानीय भार्गव युवा संघ के वर्तमान अध्यक्ष तथा सचिव, जयपुर भार्गव सभा से सम्बधता प्राप्त करने के पश्चात कार्यकारिणी में कार्यकारिणी के सदस्य होंगे। इन सदस्यों को कार्यकारिणी बैठक में मत देने का अधिकार होगा। (द्वि-वार्षिक सम्बधता शुल्क प्रति सभा रु 500/- होगी)
6.6 जयपुर भार्गव सभा के पदाधिकारियों एवं कार्यकारिणी सदस्यों को अखिल भारतीय भार्गव सभा का आजीवन सदस्य होना अनिवार्य है।
6.7 जयपुर भार्गव सभा (रजि.) से सम्बद्वता प्राप्त अन्य दो स्थानीय सभाए, जयपुर भार्गव महिला सभा (रजि.) एवं भार्गव युवा संघ (रजि.) के पदाधिकारी एवं कार्यकारिणी सदस्य कुल तीन सभाओं में से किसी भी एक सभा में एक पद ही ले सकते है। किन्ही दो सभाओं में निर्वाचित होने की स्थिति में 15 दिवस के अन्दर एक सभा से अपना त्यागपत्र देना अनिवार्य होगा, अन्यथा जयपुर भार्गव सभा की कार्यकारिणी को अधिकार होगा कि वे उक्त निर्वाचित सदस्य को जयपुर भार्गव सभा के पद से विमुक्त कर दे। यह नियम सम्बद्वता प्राप्त अन्य दोनो सभाओं पर भी लागू होगा।
7. रिक्त स्थानों की पूर्ति हेतु:- 7.1 निर्वाचन के पश्चात यदि कोई पदाधिकारी किसी भी कारणवश अपने पद का दायित्व निभाने में असमर्थ हो या किसी भी सदस्य को किसी भी कारणवश पद मुक्त किया जाये, या किसी पदाधिकारी का स्वर्गवास हो जाये तो उस रिक्त पद की पूर्ति कार्यकारिणी के सदस्यों से निम्न प्रकार होगी:-
अध्यक्ष- वरिष्ठ उपाध्यक्ष ।
सचिव- वरिष्ठ सहसचिव।
उपाध्यक्ष, कोषाध्यक्ष सहित अन्य पद- कार्यकारिणी द्वारा किसी भी वरिष्ठ सदस्य का कार्यकारिणी में अनुभव के आधार पर मनोनीत करके।
कार्यकारिणी सदस्य- जिस जोन का स्थान रिक्त हुआ हो उसी जोन से मनोनीत करके।
मनोनीत सदस्य - मनोनयन द्वारा ।


नोट:- उपर्युक्त नियुक्तियाँ आगामी निर्वाचन तक मान्य होंगी।
(उपाध्यक्ष व संयुक्त सचिव निर्विरोध निर्वाचन की स्थिति में वरीयता लाटरी द्वारा निर्धारित की जाएगी।)

7.2 अनेक (20 प्रतिशत से अधिक) कार्यकारिणी सदस्यों द्वारा स्थान रिक्त किये जाने की दशा में विशेष साधारण बैठक बुला कर ही रिक्त स्थानों की पूर्ति की जायेगी।
8. अन्य नियम: 8.1 समस्त पदाधिकारी अथवा कार्यकारिणी सदस्य अपने त्यागपत्र अध्यक्ष/सचिव को लिखित में देंगे। सचिव अपना त्याग-पत्र अध्यक्ष को देंगे तथा अध्यक्ष अपना त्याग-पत्र सचिव के माध्यम से सदन को देंगे, परन्तु त्याग-पत्र कार्यकारिणी द्वारा ही स्वीकार किये जायेंगे।
8.2 जो भी पदाधिकारी एवं कार्यकारिणी का सदस्य बिना पूर्व सूचना के निरन्तर तीन कार्यकारिणी बैठकों में उपस्थित नहीं होता है ऐसी परिस्थिति में उसे उसकी अनुपस्थिति हेतु कारण बताओ नोटिस दिया जायेगा। उसे स्पष्टीकरण देने हेतु 15 दिन का समय दिया जायेगा। यदि उसके स्पष्टीकरण से कार्यकारिणी सन्तुष्ट नहीं होती है तो उसकी कार्यकारिणी की सदस्यता को समाप्त करने का अधिकार कार्यकारिणी को होगा।
9. सभा की बैठकेें: सभा की बैठक चार प्रकार की होगी:-

9.1 कार्यकारिणी समिति की बैठकें:- आवश्यकतानुसार समय-समय पर आहूत की जायेगी। कार्यकारिणी बैठकों की सूचना कम से कम 7 दिन पूर्व देनी आवश्यक है किन्तु इसकी आपातकालीन बैठक 24 घण्टे के नोटिस पर भी बुलायी जा सकती है। बैठक की सूचना एस.एम.एस. अथवा ई-मेल से भी दी जा सकेगी तथा लिखित में बैठक में भी इी जावे। केवल कार्यकारिणी के सदस्य ही आमंत्रित रहेंगे। इसकी गणापूर्ति 11 सदस्यों की रहेगी।
9.2 साधारण/वार्षिक बैठक, उसकी गणापूर्ति एवं सूचना:- साधारण/वार्षिक अधिवेशन कार्यकारिणी द्वारा निश्चित स्थान एवं तिथियों पर हुआ करेगी। साधारण बैठक में गणापूर्ति 51 होगी। वांछित गणापूर्ति न होने पर अध्यक्ष को सभा की बैठक स्थगित कर पुनः उसी दिन बैठक बुलाने का अधिकार होगा। ऐसी स्थिति में पुनः बुलाई गयी बैठक के लिये गणापूर्ति आवश्यक नहीं होगी। वार्षिक अधिवेशन की सूचना सभी सभासदों को कम से कम 15 दिन पूर्व भेजना अनिवार्य होगा। वार्षिक बैठक के लिए संभावित कार्य बिन्दु: वार्षिक बैठक में निम्न विषय विचारार्थ/अवलोकनार्थ प्रस्तुत किए जा सकते है:-
9.2.1 कार्यकारिणी द्वारा स्वीकृत वार्षिक विवरण।
9.2.2 लेखा परीक्षक द्वारा जाँचा हुआ पिछले वर्ष का आय-व्यय का ब्यौरा तथा उसका प्रतिवेदन।
9.2.3 अगले वर्ष का अनुमानित आय-व्यय का ब्यौरा।
9.2.4 समस्त जीवित आजीवन सदस्यों की सूची एवं उसमें परिवर्तन।
9.2.5 आगामी वर्ष का कार्यक्रम।
9.2.6 वर्ष में स्थापित निधियों का अनुमोदन।
9.2.7 कार्यकारिणी द्वारा पारित विभिन्न प्रस्तावों को, जिनका अनुमोदन नियमानुसार साधारण सभा द्वारा होना अनिवार्य है, प्रस्तुत करना।
9.2.8 सभा की समितियों/उपसमितियों द्वारा प्रस्तुत कार्य विवरण पर विचार।
9.2.9 अन्य विषय अध्यक्ष की अनुमति से ( 7 दिवस पूर्व अध्यक्ष/सचिव को लिखित आवेदन पर )
9.3 साधारण बैठक:- सभा की साधारण बैठक किसी भी उत्सव/कार्यक्रम/के साथ या अलग से आवश्यकतानुसार आयोजित की जाएगी।
9.4 विशेष साधारण बैठक:- कार्यकारिणी के निश्चय पर किसी विशेष कार्य अथवा संविधान में संशोधन हेतु विशेष बैठक आहूत की जायेगी। इसकी गणापूर्ति कुल आजीवन सदस्यों की 10 प्रतिशत होगी । आजीवन तथा साधारण सदस्यों में से कम से कम 200 सदस्यों के हस्ताक्षर युक्त लिखित प्रार्थना पत्र प्राप्त होने के 30 दिन के अन्दर किसी विशेष कार्य हेतु विशेष बैठक आहूत की जायेगी जिसमें केवल वही विषय प्रस्तुत किये जायेंगे
10. बैठकों की तिथि, समय व स्थान का निर्धारण: 10.1 अध्यक्ष की सहमति से सचिव बैठकों की तिथि, समय व स्थान का निर्णय करेगा।
10.2 सभी साधारण बैठकों की सूचना बैठक की निर्धारित तिथि से कम से 15 दिन पूर्व सदस्‍यों को प्रेषित की जायेगी।
10.3 विशेष बैठकों की सूचना 15 दिन पूर्व केवल आजीवन तथा साधारण सदस्यों को प्रेषित की जायेगी।
11. उत्सवों अथवा अन्य कार्यक्रमोंआदि में पूरक संख्या की अनिवार्यता नहीं होगी।
12. उत्सव: सभा प्रत्येक वर्ष सम्राट हेमचन्द्र जयन्ती, भगवान परशुराम जयन्ती, स्वामी चरणदास जयन्ती, चैत्र शुक्ल नववर्ष, अखिल भारतीय भार्गव सभा व जयपुर भार्गव सभा का स्थापना दिवस या उनसे संबन्धित तिथियों पर या उसके आस-पास समारोह आयोजित करेगी। इसके अतिरिक्त होली मिलन, दिवाली मिलन, राष्ट्रीय पर्व अथवा अन्य उत्सव/ कार्यक्रम आयोजित करेगी।
- उत्सवों अथवा अन्य कार्यक्रमों आदि में तीनों सभाओं के समस्त पदाधिकारी एवं कार्यकारिणी के सदस्यों की उपस्थिती अनिवार्य रहेगी।
- उक्त सभी उत्सवों समारोहों एवं कार्यक्रमों में समस्त जातीय बन्धु आमंत्रित किये जायेंगे।
13. सभा के पदाधिकारियों एवं कार्यकारिणी के सदस्यों का निर्वाचन एवं मनोनयन:प्रत्येक दो वर्ष पूर्ण होने के पूर्व निर्वाचन वर्ष में 31 दिसम्बर को सभा के सदस्यों के रजिस्टर में अंकित सदस्यों में से (परिशिष्ट में निर्दिष्ट प्रक्रियानुसार) अगले दो वर्षो के कार्यकाल अवधि तक के लिए धारा-6 की 6.1 धारा में उल्लिखित पदाधिकारी एवं कार्यकारिणी सदस्य निर्वाचित हुआ करेंगे। यह निर्वाचन विलम्बतः 15 फरवरी तक अवश्य हो जाने चाहिए।
14. कार्यकारिणी के अधिकार, कर्तव्य एवं दायित्व: 14.1 अधिकार:-
14.1.1 कार्यकारिणी अपने कार्य संचालन के लिए ऐसे नियम एवं उपनियम बना सकेगी जो सभा के नियमों एवं ध्येय के अनुरुप हों।
14.1.2 साधारणतः कार्यकारिणी को स्वीकृत बजट के अनुसार व्यय करने का अधिकार है। आवश्यकता पड़ने पर एक वित्तीय वर्ष में कार्यकारिणी अधिक से अधिक 25000/- रुपये अतिरिक्त व्यय कर सकती है। जिसकी स्वीकृति सभा की अगली साधारण बैठक में लेना आवश्यक होगा।
14.2 कर्तव्य एवं दायित्व:-
14.2.1 सभा के उद्देश्यों की पूर्ति हेतु समय समय पर बनायी गयी आचार संहिता, प्रसारित दिशा निर्देश एवं अन्य नियमों को विभिन्न स्तरों पर क्रियान्वित कराने का मुख्य दायित्व कार्यकारिणी का होगा। कार्यकारिणी अपने तथा विभिन्न उपसमितियों के कार्य संचालन के लिये ऐसे नियम बनायेगी जो सभा के नियमों एवं उद्देश्यों के अनुरुप हों। उक्त नियमों की समीक्षा समय समय पर की जायेगी।
14.2.2 कार्यकारिणी वार्षिक रिपोर्ट, गत वर्ष के आय-व्यय तथा अगले वर्ष के अनुमानित आय-व्यय के प्रस्ताव और अन्य प्रस्तावों पर विचार करके सचिव को सभा के वार्षिक बैठक में प्रस्तुत करने के लिये अधिकृत करेगी।
14.2.3 सभा को दिये जाने वाले अनुदानों को स्वीकार अथवा अस्वीकार करना।
14.2.4 धन को निवेश करने की स्वीकृति प्रदान करना।
14.2.5 आवश्यकतानुसार बैंकों में सभा के नाम का खाता खोलना।
14.2.6 सभा की अचल सम्पत्ति के लिए बनाये गये नियमों के अनुपालन का प्राथमिक दायित्व कार्यकारिणी पर होगा, परन्तु निर्णयों को क्रिर्यान्वित करने का दायित्व सचिव पर होगा।
14.2.7 कार्यकारिणी को साधारण सभा की स्वीकृति के बिना सभा की चल अथवा अचल सम्पत्ति को बेचने, रहन या लीज पर देने का अघिकार नहीं होगा।
14.2.8 प्रत्येक बैठक की कार्यवाही एक रजिस्टर में अंकित की जायेगी तथा उस पर अनुमोदन हो जाने पर सचिव एवं अध्यक्ष के हस्ताक्षर होंगे।
14.2.9 उपसमितियों का गठन - सभा के उद्देश्यों की पूर्ति एवं कुशल कार्य सम्पादन तथा विशेष प्रयोजनों हेतु आवश्यकतानुसार उपसमितियों का गठन नये सत्र की प्रथम कार्यकारिणी बैठक में सचिव प्रस्तुत कर कार्यकारिणी द्वारा अनुमोदन करायेंगे। कार्यकारिणी को उपसमिति बनाने तथा उनकी कार्यप्रणाली, समय सीमा एवं अन्य नियम बनाने का अधिकार होगा। ऐसी उपसमितियों का गठन तथा कार्यकाल कार्यकारिणी के निर्णय पर निर्भर करेगा। किसी विशेष कार्य हेतु गठित उपसमिति का कार्यकाल उक्त कार्य के समाप्त होने पर अथवा सत्र की समाप्ति पर स्वतः ही समाप्त हो जायेगा। आवश्यकता पड़ने पर कार्यकारिणी को उनका कार्यकाल समाप्त करने का, बढ़ाने का या उनका पुनः गठन करने का पूर्ण अधिकार होगा।
अध्याय 4 - पदाधिकारियों के कर्तव्य एवं अधिकार
15. पदाधिकारियों के कर्तव्य एवं अधिकार: 15.1 अध्यक्ष के कर्तव्य एवं अधिकार -
15.1.1 सभी बैठकों की अध्यक्षता करना और उनका संचालन करना।
15.1.2 आवश्यकतानुसार सभा के पत्रों पर हस्ताक्षर करना।
15.1.3 सभा के सभासदों के अतिरिक्त किसी व्यक्ति को सभा अथवा कार्यकारिणी की बैठकों में सम्मिलित होकर केवल विचार विमर्श करने हेतु आमंत्रित करना।
15.1.4 किसी विषय पर समान मत होने पर अध्यक्ष द्वारा अपना निर्णायक मत देकर उसका निर्णय करना। इस प्रकार अध्यक्ष को दो मत देने का अधिकार होगा।
15.1.5 नियमों के सम्बन्ध में मतभेद होने पर अपनी व्यवस्था देना।
15.1.6 सूचना सम्बन्धी किसी भी विवाद पर अपना निर्णय देना।
15.1.7 उपाध्यक्षों को यथोचित कार्य आवन्टित करना।
15.2 उपाध्यक्ष के कर्तव्य एवं अधिकार -
15.2.1 सभा के कार्यो में हर प्रकार से अध्यक्ष की सहायता करना।
15.2.2 अध्यक्ष की अनुपस्थिति में अध्यक्ष का आसन ग्रहण करके अध्यक्ष का कर्तव्य पालन करना।
15.2.3 अध्यक्ष द्वारा निर्धारित कार्यों को सम्पादित करना।
नोट: यदि किसी साधारण अथवा कार्यकारिणी बैठक में अध्यक्ष एवं उपाध्यक्ष दोनों उपस्थित न हो तो कार्यकारिणी सदस्यों में से किसी वरिष्ठ सदस्य को भी उस बैठक के लिये अध्यक्ष चयनित करेगी। उस बैठक में उसके कर्तव्य तथा अधिकार अध्यक्ष के समान होंगे।
15.3 सचिव के कत्र्तव्य एवं अधिकार -
15.3.1 कार्यकारिणी की बैठकों तथा सभा की बैठकों की कार्यवाही का लेखा रखना एवं आगामी बैठकों में अनुमोदन कराना।
15.3.2 सभा के कार्यालय का संचालन करना तथा सभा कार्यालय हेतु कर्मचारियों की नियुक्ति करने, दण्डित करने, निलम्बित करने तथा निकालने का पूर्ण अधिकार होगा, लेकिन इसका अनुमोदन कार्यकारिणी द्वारा आवश्यक है।
15.3.3 सभा की ओर से पत्र व्यवहार करना एवं आवश्यक पत्रों को बैठकों में प्रस्तुत करना।
15.3.4 एक ही वित्तीय वर्ष में बजट प्रावधानों के अतिरिक्त स्वयं के अधिकार से कुल रु. 5000/- तथा अध्यक्ष की स्वीकृति से बजट के अतिरिक्त कुल रु. 11000/- तक व्यय करना तथा उसका अनुमोदन कार्यकारिणी एवं सभा की आगामी बैठक में करवाना।
15.3.5 सदस्यों के प्रश्नों का उत्तर देना।
15.3.6 सभा की कार्यकारिणी की बैठकों का प्रबन्ध करना और कराना।
15.3.7 अध्यक्ष की सहमति से साधारण तथा विशेष बैठकों की तिथि, समय, स्थान तथा कार्यक्रम की सूचना सभासदों को समयानुसार भेजना।
15.3.8 संयुक्त सचिवों को अध्यक्ष की अनुमति से यथोचित कार्य आवंटित करना तथा उसकी सूचना अध्यक्ष को देना।
15.3.9 वार्षिक कार्यवाही प्रस्तुत करना,जिसमें कार्यकारिणी और उपसमितियों के कार्यों का संक्षिप्त विवरण भी होना चाहिये।
15.3.10 हर दशा में सभा के समस्त कार्य सम्पादन का उत्तरदायित्व सचिव पर है।
15.3.11 सभा द्वारा पारित प्रस्तावों के आधार पर सभा की चल सम्पत्ति को बेचने या रहन या लीज पर देने का अधिकार।
15.3.12 सभा को प्राप्त नकद/चैक इत्यादि की रसीद पर किसी भी व्यक्ति को हस्ताक्षर करने के लिये अधिकृत करना।
15.3.13 अनुमानित वार्षिक आय व्यय का ब्यौरा/बजट तैयार करना और स्वीकृति के अनुसार कार्य करना।
15.3.14 सभा एवं कार्यकारिणी द्वारा पारित प्रस्तावों का क्रियान्वयन सुनिश्चित करना।
15.3.15 अदालती कार्यवाही के संचालन का समस्त उत्तरदायित्व सचिव का होगा।
15.3.16 सचिव यदि किसी विशेष प्रयोजन के लिए कोई विशेष बैठक आहूत करना चाहे तो अध्यक्ष की सहमति के उपरान्त ऐसी बैठक आहूत कर सकते हैं।
15.4 संयुक्त सचिव के कर्तव्य एवं अधिकार:- सचिव द्वारा आवन्टित कार्यों को सम्पादित करना एवं उनको हर प्रकार से सहयोग देना। सचिव की अनुपस्थिति में कार्यकारिणी द्वारा वरीयता अनुसार संयुक्त सचिव, सचिव के कर्तव्यों का पालन करेंगे।
15.5 कोषाध्यक्ष के कर्तव्य एवं अधिकार:-
15.5.1 सभा के धन को, जो उनके अधिकार में दिया गया हो, अपने नियन्त्रण में रखना।
15.5.2 चैक पर सचिव/अध्यक्ष के साथ हस्ताक्षर करना।
15.5.3 सचिव की अनुमति से राशि का लेन-देन।
15.5.4 सभा की आय व्यय का हिसाब रखना तथा रसीद देना व लेना।
15.5.5 लेखा वर्ष की समाप्ति पर तुलन-पत्र एवं आय-व्यय का विवरण बनाना।
15.5.6 लेखा निरीक्षक से प्रत्येक तिमाही में सभा के लेखों का निरीक्षण करवाना तथा उसे कार्यकारिणी/वार्षिक बैठक में प्रस्तुत करना तथा आवश्यकता पड़ने पर सभासदों द्वारा पूछे गये सम्बन्धित प्रश्नों का उत्तर देना।
15.5.7 अगले वित्त वर्ष का अनुमानित बजट बनाने में सचिव की सहायता करना।
15.5.8 सचिव द्वारा आवंटित कार्य को सम्पादित करना।
15.5.9 वार्षिक आय व्यय का ब्यौरा तैयार करके, कार्यकारिणी की स्वीकृति लेकर वार्षिक अधिवेशन में प्रस्तुत करना।
15.6 लेखा परीक्षक के कर्तव्य एवं अधिकार:- लेखा परीक्षक को प्रत्येक तिमाही में कोषाध्यक्ष एवं सचिव से सम्पर्क कर समस्त लेखे जोखे का निरीक्षण कर अपनी रिपोर्ट कार्यकारिणी में प्रस्तुत करनी होगी । इसी प्रकार वार्षिक बैठक से पूर्व अपनी वार्षिक रिपोर्ट प्रस्तुत करनी होगी ।
15.7 खेल सचिव के कर्तव्य एवं अधिकार:- खेलकूद संबधि कार्यक्रम एवं प्रतियोगिताओं के आयोजन करना व उनको सुचारू रूप से सम्पन्न करवाना।
15.8 सांस्कृतिक सचिव के कर्तव्य एवं अधिकार:- सभा के निर्णयानुसार विभिन्न उत्सवों पर आयोजित होने वाले सांस्कृतिक कार्यक्रमों को आयोजित करना व उनको सुचारू रूप से समपन्न करवाना।
अध्याय 5 - सभा की सम्पत्ति
16. सभा की सम्पत्ति: : सभा की सम्पत्ति दो प्रकार की होगी -
16.1 स्थायी सम्पत्ति:-
16.1.1 जयपुर भार्गव सभा की अपनी एक अचल सम्पत्ति, महर्षि भृगु सदन के नाम से सुन्दर मार्ग तिलक नगर, जयपुर में स्थित है। इसके सफल संचालन के लिए 5 सदस्यीय समिति का गठन किया जायेगा । इस समिति में एक संयोजक, जिसका मनोनयन कार्यकारिणी के द्वारा किया जायेगा, तथा इसके प्रभावी संचालन के लिए अन्य 4 सदस्यों का चयन संयोजक की सलाह से कार्यकारिणी के द्वारा किया जायेगा। इन 5 सदस्यों का जयपुर भार्गव सभा का कार्यकारिणी सदस्य होना अनिवार्य नहीं होगा। इनके अतिरिक्त जयपुर भार्गव सभा के अध्यक्ष, वरिष्ठ उपाध्यक्ष, सचिव, कोषाध्यक्ष, जयपुर भार्गव महिला सभा एवं भार्गव युवा संघ, जयपुर के अध्यक्ष समिति के पदेन सदस्य होंगे, एवं आवश्यकतानुसार जयपुर भार्गव सभा के समस्त पूर्व अध्यक्ष, भृगु सदन के सभी पूर्व संयोजक तथा सभी दान दाता विशेष आमंत्रित सदस्य रहेगे।
16.1.2 भृगु सदन के बैंक खातों का संचालन जयपुर भार्गव सभा के अध्यक्ष, सचिव, कोषाध्यक्ष तथा भृगु सदन समिति के संयोजक मिलकर करेंगे। हस्ताक्षर करने का अधिकार अध्यक्ष एवं सचिव में से कोई एक, कोषाध्यक्ष तथा भृगु सदन समिति के संयोजक, कुल 3 सदस्यों, का होगा ।
16.1.3 भृगु सदन की एक नियमावली होगी । जिसका निर्माण कार्यकारिणी के द्वारा किया जायेगा।
16.1.4 भृगु सदन समिति के द्वारा लिए गए समस्त निर्णयों एवं कार्यो की जानकारी कार्यकारिणी में प्रस्तुत करनी होगी ।
16.1.5 भृगु सदन समिति का कार्यकाल 2 वर्ष का होगा जो कि कार्यकारिणी के साथ समाप्त होगा ।
16.1.6 भृगु सदन समिति के पाॅंच सदस्यों को भंग करने का अधिकार कार्यकारिणी को ही होगा। इसके लिए भंग करने का कारण बताना होगा तथा कुल कार्यकारिणी के तीन चैथाई बहुमत से ही इसे भंग किया जा सकेगा । 16.1.8 सभा के पास स्थायी कोष का जो नगद रुपया तथा चल अचल सम्पत्ति इस समय है या जो भविष्य में क्रय की जाये अथवा किसी प्रकार के कोष में प्राप्त हो अथवा जो शुल्क आजीवन सदस्यों से प्राप्त हो, वह सब सभा की स्थायी सम्पत्ति होगी तथा यह साधारण कार्यों के लिये व्यय नहीं होगी। केवल उससे प्राप्त ब्याज की राशि से ही सभा के उद्देश्यों की पूर्ति के लिये व्यय हो सकेगी।
16.1.9 जो दान सभा को स्थायी निधि के रूप में विशेष कार्यों में व्यय करने के लिये अब तक मिला है या जो भविष्य में इसी प्रकार मिले, वह भी सभा की स्थायी सम्पत्ति में शामिल होगा। परन्तु जब तक आवश्यकता रहे उससे प्राप्त आय केवल उन्हीं विशेष कार्यों में व्यय हो सकेगी। शेष राशि को निर्धन शिक्षा सहायता में स्थानांतरित कर आर्थिक दृष्टि से कमजोर बच्चों को संबल प्रदान करने हेतु, तत्पश्चात् अन्य कार्यों में व्यय हो सकती है।
16.1.10 नई स्थायी सम्पत्ति खरीदने में भी सभा की पूर्व की स्थायी सम्पत्ति का उपयोग हो सकता है।
16.2 अस्थायी सम्पत्ति:-
16.2.1 स्थायी सम्पत्ति से प्राप्त आय, साधारण सदस्यों का शुल्क तथा अन्य दान आदि सभा की अस्थायी सम्पत्ति होगी।
16.2.2 सभा के उद्देश्यों की पूर्ति हेतु जितने द्रव्य की आवश्यकता हो, वह अस्थायी सम्पत्ति से लिया जायेगा।
16.2.3 अस्थायी सम्पत्ति में जो दान किसी विशेष कार्य के लिये प्राप्त हो वह केवल उसी कार्य के लिये व्यय हो सकेगा।
16.2.4 अस्थायी सम्पत्ति में से कार्यों के सम्पूर्ण व्यय के बाद जो भी बचत हो उसको वर्तमान में प्रभावी आयकर अधिनियम के अनुरूप सभा के हितों को ध्यान में रखते हुये कार्यकारिणी की अनुशंसा से स्थायी कोष अथवा प्रतिभूतियों में स्थानान्तरित अथवा नियोजित की जा सकेगी। सभा की चल सम्पत्ति का निवेश बैंक, डाकखाना, रिजर्व बैंक बांड और अखिल भारतीय भार्गव सभा में ही किया जा सकेगा। विशेष परिस्थिति में कार्यकारिणी एवं साधारण सभा के अनुमोदन के उपरान्त अन्य विकल्पों में भी धन का निवेश किया जा सकता है।
17. विघटन के उपरान्त विघटित सम्पत्ति का निस्तारण: यदि सभा का किसी समय किन्हीं कारणोंवश विघटन हुआ तो विघटन और विघटित सम्पत्ति का निस्तारण सोसायटीज रेजिस्ट्रेशन एक्ट की प्रभावी धाराओं के अनुरुप होगा।
अध्याय 6 - न्यायाधिकरणण
18. न्यायाधिकरण: 18.1 गठन:- सभा की कार्यकारिणी की नवम्बर माह की बैठक में एक तीन सदस्यीय न्यायाधिकरण का गठन किया जायेगा, जिसका अनुमोदन साधारण बैठक में किया जायेगा तथा इसका कार्यकाल चुनावी वर्ष में 1 अप्रैल से दो वर्ष पुर्ण होने के बाद 31 मार्च तक होगा। इसमें न्यायाधिकरण को केवल चुनाव संबंधी विवाद या अनियमितताओं को सुनने का अधिकार होगा। उनके द्वारा दिया गया निर्णय अन्तिम व मान्य होगा । विवाद होने की स्थिति में शिकायतकर्ता को शिकायत लिखित में चुनाव सम्पन्न होने के 7 दिवस के अन्दर प्रस्तुत करनी होगी। और उसका निर्णय न्यायाधिकरण को 21 दिन में आवश्यक रूप से करना होगा । न्यायाधिकरण के सदस्य स्वयं ही अपना अध्यक्ष चुनेंगे। अध्यक्ष आवश्यकतानुसार बैठक आहूत करेंगे। तीन सदस्यीय न्यायाधिकरण का गठन निम्नलिखित श्रेणियों में से किया जायेगा -
18.1.1 पूर्व अध्यक्ष अथवा पूर्व सचिव में से एक।
18.1.2 न्यायिक सदस्य जि़ला अथवा उच्च न्यायलय से सेवा निवृत अथवा न्यूनतम 20 वर्ष के अनुभवी अधिवक्ता में से एक।
18.1.3 50 वर्ष से अधिक आयु का सभासद, जो कम से कम 6 वर्ष (3 सत्र) कार्यकारिणी का सदस्य रहा हो, इस श्रेणी में से एक।
18.2 न्यायाधिकरण के अधिकार एवं उनका कार्यक्षेत्र:-
18.2.1 घोषित चुनाव परिणामों के विरुद्ध (यदि कोई प्रत्याशी या सदस्य आपत्ति उठाना चाहे तो उसे अपनी आपत्ति लिखित रूप में रुपये 500.00 राशि नगद के साथ होगी चुनाव अधिकारी के पास जमा करवा कर रसीद लेनी होगी तथा चुनाव परिणाम घोषणा के सात दिवस के अन्दर न्यायाधिकरण के अध्यक्ष, अध्यक्ष की अनुपस्थिति में अन्य दो सदस्यों में से किसी भी एक को प्रस्तुत करनी होगी।
18.2.2 किन्हीं भी सदस्यों के विरुद्व चुनाव प्रक्रिया में अवरोध अथवा दुव्र्यवहार की शिकायत आने पर न्यायाधिकरण द्वारा सफाई का मौका देने के पश्चात तथा दोषी पाये जाने पर दो वर्षों तक के लिये उन सदस्यों को सभा के किसी भी पद के लिये चुनाव लड़ने तथा मतदान के अधिकार से वंचित कर सकता है।
18.3 गणपूर्ति एवं निर्णय:- न्यायाधिकरण की बैठक के लिये गणपूर्ति हेतु कम से कम दो सदस्यों की उपस्थिति आवश्यक है। न्यायाधिकरण अपना फैसला बहुमत से लेगी। परन्तु दोनों सदस्यों का एकमत न होने की स्थिति पर अन्तिम निर्णय तीनों सदस्यों के बहुमत पर होगा। न्यायाधिकरण के निर्णय अन्तिम तथा सर्वमान्य होंगे। यदि आवश्यक हो तो न्यायाधिकरण अन्तरिम निर्णय भी दे सकता है जो अन्तिम निर्णय आने तक मान्य होगा। न्यायाधिकरण अपना अन्तिम निर्णय अधिक से अधिक 21 दिन में दे देगा।
18.4 रिक्त स्थानों की पूर्ति:- यदि न्यायाधिकरण के किसी सदस्य का स्थान रिक्त होता है तो उसकी पूर्ति कार्यकारिणी बैठक में होगी।
18.5 प्रतिबन्ध:- न्यायाधिकरण के सदस्य सभा की किसी भी निर्वाचन/मत प्रक्रिया में भाग नहीं ले सकेंगे।
अध्याय 7 - संविधान में संशोधन
19. संविधान में संशोधन: 19.1 सभा के संविधान में परिवर्तन विशेष रूप से गठित ‘‘संविधान समीक्षा उपसमिति’’ की अनुशंसा पर कार्यकारिणी के अनुमोदन के पश्चात सभा के विशेष एवं साधारण अधिवेशन में ही हो सकेगा।
19.2 प्रस्तावित परिवर्तनों की सूचना जिसमें उनकी आवश्यकता भी दर्शायी गयी हो, सदस्यों को विशेष अधिवेशन की तिथि से कम से कम 15 दिन पूर्व भेजी जानी चाहिये। विशेष अधिवेशन की सूचना सभा द्वारा 30 दिन पूर्व प्रेषित करना आवश्यक होगा।
19.3 प्रस्तावित परिर्वतन विशेष अधिवेशन में उपस्थित सदस्यों के 1/3 से अधिक बहुमत के पक्ष में होने पर ही स्वीकृत समझे जायेंगे।
19.4 विशेष अधिवेशन के अनुमोदन के उपरान्त साधारण अधिवेशन से भी अनुमोदन आवश्यक है। यह साधारण अधिवेशन, विशेष अधिवेशन के 30 दिन उपरान्त परन्तु 90 दिन पूर्व आयोजित किया जायेगा।
अध्याय 8 - निर्वाचन प्रणालीी
20. निर्वाचन प्रणाली: 20.1 निर्वाचन अधिकारी:- चुनाव वर्ष में चुनाव हेतु होने वाली वार्षिक बैठक की तिथि से कम से कम एक माह पूर्व कार्यकारिणी द्वारा एक निर्वाचन अधिकारी एवं वैकल्पिक/ सहायक निर्वाचन अधिकारी नियुक्त कर दिया जायेगा। सभा कार्यालय अथवा सचिव सभी आजीवन, साधारण सदस्यों को लिखित में निश्चित चुनाव तिथि से 21 दिन पूर्व सूचित करेंगे।
20.2 निर्वाचन प्रक्रिया:-

20.2.1 निर्वाचन अधिकारी अपनी नियुक्ति की घोषणा के पश्चात निर्वाचन प्रक्रिया, कार्यक्रम व नामांकन पत्र का प्रारुप सभा के समस्त सदस्यों के सूचनार्थ भेजेगें। इस सूचना हेतु सभा द्वारा अनुमोदित समाचार पत्रिका में प्रकाशन पर्याप्त माना जायेगा अन्यथा सभी सदस्यों को सूचना भेजना अनिवार्य होगा।
20.2.2 निर्वाचन प्रक्रिया एवं घोषणाओं के विषय में निर्वाचन अधिकारी का निर्णय अन्तिम व सर्वमान्य होगा।
20.2.3 निर्वाचन अधिकारी को यह अधिकार होगा कि वह निर्वाचन सम्बन्धी सभी कार्य को सुचारु रूप से चलाने हेतु आवश्यकतानुसार ऐसे व्यक्तियों की सहायता प्राप्त करें जो स्वयं प्रत्याशी, प्रस्तावक एवं समर्थक ना हों यद्यपि ऐसे व्यक्तियों को मत देने का अधिकार होगा। निर्वाचन अधिकारी स्वयं मतदान में भाग नहीं लेंगे।

20.3 नामांकन:- निर्वाचन अधिकारी के पास प्रसारित कार्यक्रम के अनुसार पदाधिकारियों तथा कार्यकारिणी के सदस्यों के लिए नामांकन पत्र निर्धरित प्रारूप में यथासमय पहुँच जाने चाहिये। प्रस्तावक का व्यक्तिगत रूप से उपस्थित होना अनिवार्य होगा। चुनाव वर्ष में 31 दिसम्बर तक बने सभा के आजीवन सदस्य ही निर्वाचन में प्रत्याशी, प्रस्तावक, समर्थक अथवा मतदाता के रूप में भाग ले सकेंगे। चुनाव वर्ष में 31 दिसम्बर से पूर्व बने साधारण सदस्य केवल मतदाता के रूप में ही निर्वाचन में भाग ले सकेंगे।
20.4 नामांकन शुल्क:- नामांकन पत्र का शुल्क 100/- (Non-Refundable) होगा। प्रत्येक पद के लिये अलग अलग नामांकन पत्र भरना आवश्यक है। एक आजीवन सदस्य अधिक से अधिक एक पदाधिकारी पद हेतु एवं एक कार्यकारिणी सदस्य हेतु ही आवेदन कर सकेगा।
20.5 जमानत राशि:- प्रत्येक प्रत्याशी को अध्यक्ष एवं सचिव पद हेतु 500/- रुपये, उपाध्यक्ष, कोषाध्यक्ष सहित अन्य पदों हेतु 250/- एवं कार्यकारिणी सदस्य हेतु 100/- रुपये जमानत राशि नगद या बैंक ड्राफ्ट जयपुर भार्गव सभा के नाम से जमा कराने होंगे। ऐसा नहीं करने पर नामांकन-पत्र निरस्त कर दिया जायेगा। यदि कोई प्रत्याशी पदाधिकारी पद के लिये कुल वैध मतों के 25 प्रतिशत तथा कार्यकारिणी सदस्य के लिये 15 प्रतिशत मत प्राप्त कर लेता है तो उसे जमानत राशि चुनाव अधिकारी द्वारा 3 दिन में आवेदन कर अपनी जमानत राशि प्राप्त करें अन्यथा जमानत राशि जब्त कर जयपुर भार्गव सभा के कोष में जमा कर दी जायेगी। निर्विरोध निर्वाचन की स्थिति में जमानत राशि वापस कर दी जायेगी। नोटः-नामांकन शुल्क तथा जमानत राशि को सभा अपनी कार्यकारिणी बैठक में पुनः निर्धारित कर सकती है।
20.6 नामांकन पत्रों की जाँच:- निर्वाचन अधिकारी विधिवत् प्राप्त नामांकन पत्रों की जांच करने के पश्चात् वैध प्रत्याशियों की सूची कार्यक्रम के अनुसार घोषित कर देगा।
20.7 नामांकन पत्र निरस्त करने का अधिकार निर्वाचन अधिकारी को कारण बताते हुए होगा।
20.8 नामांकन पत्र पर प्राप्त आपत्तियों का निस्तारण:-

20.8.1 यदि किसी प्रत्याशी के नामांकन पत्र पर कोई आपत्ति प्राप्त हुई है और प्रत्याशी आपत्ति को प्रतिवाद करने के लिए स्वयं प्रस्तुत होना चाहता है तो आपत्ति की तत्काल सुनवाई की जा सकती है तथा आपत्ति सुनने के बाद नामांकन पत्र की वैधता पर निर्वाचन अधिकारी द्वारा निर्णय लिया जायेगा।
20.8.2 प्रत्याशी निर्वाचन अधिकारी द्वारा निर्धारित समय तक अपना नामांकन पत्र वापस ले सकता है। निर्धारित अवधि बीत जाने के बाद वैध पाये गये नामांकन पत्रों की सूची प्रकाशित कर दी जायेगी।
20.8.3 नामांकन पत्र स्वयं प्रत्याशी द्वारा ही निर्वाचन अधिकारी के समक्ष दाखिल किया जा सकता है।
20.8.4 नामांकन पत्र निर्धारित समय सीमा में ही दाखिल किया जा सकता है।
20.8.5 नामांकन पत्र निर्वाचन अधिकारी द्वारा निर्धारित स्थान पर ही दाखिल किया जायेगा।

20.9 प्रत्याशियों द्वारा नाम वापसी:- विभिन्न पदों हेतु कोई प्रत्याशी यदि अपना नाम वापिस लेना चाहे तो वह कार्यक्रम में दिये गये निर्धारित समय तक निर्वाचन अधिकारी को अपना नाम वापसी हेतु लिखित में स्वयं अथवा प्रस्तावक द्वारा पत्र देकर नाम वापस ले सकेंगे।
20.10 प्रत्याशियों की अंतिम सूची:- निर्वाचन अधिकारी नाम वापस की अवधि की समाप्ति के पश्चात् वैध प्रत्याशियों की अंतिम सूची तैयार कर कार्यक्रम में निर्धारित समय पर घोषित कर निर्वाचन कार्यालय पर प्रदर्शित कर देगा। तथा चुनाव अधिकारी को सूची प्रदर्शित करने के समय को आवश्यकतानुसार बढ़ाने का अधिकार होगा ।
20.11 सामान्य निर्वाचन प्रक्रिया:-

20.11.1 पदाधिकारियों के पदों एवं कार्यकारिणी के सदस्यों के पदों के लिए निर्वाचन गुप्त मतदान द्वारा कराये जायेंगे।
20.11.2 वैध नामांकन पत्रों की सूची अंग्रेजी वर्णमाला क्रमानुसार तैयार की जायेगी।
20.11.3 सदस्य कार्यकारिणी द्वारा निर्धारित शुल्क जमा कराकर मतदाता सूची की प्रति सभा कार्यालय से प्राप्त कर सकते हैं।
20.11.4 मतदाताओं की सुविधा के लिए प्रत्याशियों की अन्तिम सूची मतदान केन्द्र में भी उपलब्ध रहेगी।
20.11.5 किसी भी पद पर यदि प्रत्याशियों को समान मत प्राप्त होते हैं तो ऐसी स्थिति में बैठक स्थल पर निर्वाचन अधिकारी द्वारा ही लाटरी निकाल कर निर्णय लिया जायेगा।

20.12 मतदान व निर्वाचन परिणामों की घोषणा:- मतगणना, मतदान की समाप्ति के पश्चात शीघ्रतम की जायेगी। मतगणना पूर्ण होने के पश्चात निर्वाचन अधिकारी निर्वाचितसदस्यों के नामों की घोषणा पद एवं नाम सहित वरीयता क्रम से करेंगे। चुनाव परिणाम की घोषणा के उपरान्त चुनाव प्रक्रिया से संबंधित कोई भी आपत्ति निर्वाचन अधिकारी द्वारा स्वीकार नहीं की जायेगी। परन्तु चुनाव प्रक्रिया/चुनाव परिणाम पर आपत्ति न्यायाधिकरण में चुनाव परिणाम के घोषणा के सात दिन के अन्दर कर सकते हैं। चुनाव परिणामों की घोषणा के साथ चुनाव अधिकारी अपने पद से मुक्त हो जायेगा। चुनाव से संबंधित सभी दस्तावेज निर्वाचित सचिव के पास जमा करा देगा । नव निर्वाचित पदाधिकारीगण एवं कार्यकारिणी सदस्य आगामी एक अप्रैल को अपना कार्यभार ग्रहण करेंगे। वे एक अप्रैल से दो वर्ष तक नियमावली के अनुसार अपने-अपने अधिकारों एवं दायित्वों का प्रयोग कर सकेंगे। निवर्तमान पदाधिकारियों का कर्तव्‍य होगा कि कार्यकारिणी की प्रथम बैठक तक संबंधित कार्यालय का समस्त लेखा जोखा, रजिस्टर आदि नवनिर्वाचित पदाधिकारियों को हस्तान्तरित करें।

जयपुर भार्गव सभा (रजि.), जयपुर
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कार्यकारिणी के द्विवार्षिक सत्र 20 -20 निर्वाचन हेतु नामांकन पत्र का प्रारूप

(पद का नाम) -------------------------------- पद के निर्वाचन हेतु मैं अपनी सहमति प्रदान करता/करती हूँ।

अखिल भारतीय भार्गव सभा की सदस्य संख्याः...................

प्रत्‍याशी के हस्ताक्षर


दिनांकः---------- पूरा नामः -----------------------------
पताः------------------------------------------------समयः------------सदस्यता संख्याः-------

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(पद का नाम) ------------पद के लिये मैं श्री/श्रीमती ---------------------------------
सदस्यता संख्या-------- के नाम का प्रस्ताव करता/करती हूँ।

प्रस्तावक के हस्ताक्षर


दिनांकः---------- पूरा नामः -----------------------------
पताः------------------------------------------------समयः------------सदस्यता संख्याः-------

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(पद का नाम) ------------पद के लिये मैं श्री/श्रीमती ---------------------------------
सदस्यता संख्या -------- के नाम का समर्थन करता/करती हूँ।

समर्थक के हस्ताक्षर


दिनांकः---------- पूरा नामः -----------------------------
पताः------------------------------------------------समयः------------सदस्यता संख्याः-------

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चुनाव कार्यालय के प्रयोग हेतु

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